बदलते भूराजनीतिक परिदृश्य में जापानी येन की भूमिका

तेजी से बदलते वैश्विक भूराजनीतिक माहौल के बीच, रणनीतिकार डेविड रोश का तर्क है कि जापानी येन ने दुनिया की नई सुरक्षित मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर को पीछे छोड़ दिया है। उनका विश्लेषण वैश्विक शक्ति संतुलन के बदलाव, अमेरिका के नेतृत्व में विश्वास की गिरावट और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में चीन और रूस की बढ़ती भूमिका पर केंद्रित है।

वर्तमान परिदृश्य में, कई देश अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने के बारे में सोच रहे हैं। ऐसे में जापानी येन एक मजबूत और स्थिर विकल्प के रूप में उभर रहा है।

अमेरिकी विदेश नीति और वैश्विक विश्वास में गिरावट

रोश का तर्क भूराजनीतिक घटनाओं पर आधारित है, विशेष रूप से अमेरिका की विदेश नीति से जुड़े फैसलों पर। उनका कहना है कि अमेरिका के नेतृत्व वाली नीतियों ने कई सहयोगी देशों को आश्चर्यचकित कर दिया है, जिससे उनकी अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को लेकर चिंता बढ़ी है।

डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका की विदेश नीति में कई बदलाव हुए, जिसमें पारंपरिक यूरोपीय सहयोगियों से दूरी बनाना और नए देशों के साथ गठबंधन बनाने की रणनीति शामिल थी। रोश का मानना है कि इसने वैश्विक अनिश्चितता को जन्म दिया और डॉलर पर निर्भरता को लेकर संदेह बढ़ा दिया।

इसके अलावा, अमेरिकी प्रशासन के नाटो पर दिए गए बयान और अन्य सहयोगी देशों के प्रति बदले रवैये ने भी वैश्विक निवेशकों के विश्वास को प्रभावित किया है।


डी-डॉलराइजेशन की बढ़ती प्रवृत्ति

भूराजनीतिक अस्थिरता के चलते कई देश अमेरिकी डॉलर से हटकर अन्य मुद्राओं की ओर रुख कर रहे हैं। रूस और चीन इसका प्रमुख उदाहरण हैं।

2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद, अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर कठोर प्रतिबंध लगाए, जिससे रूस ने डॉलर के उपयोग को सीमित कर दिया। इसी तरह, चीन भी वैश्विक व्यापार में अपनी मुद्रा युआन को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

यह प्रवृत्ति कई देशों को अपनी विदेशी मुद्रा भंडार को विविधता देने और सुरक्षित एवं स्थिर विकल्प तलाशने के लिए प्रेरित कर रही है। जापानी येन इस परिप्रेक्ष्य में एक आकर्षक विकल्प के रूप में उभर रहा है।


जापानी येन: नई सुरक्षित मुद्रा?

इन घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, रोश का मानना है कि जापानी येन अब एक सुरक्षित मुद्रा बन चुका है।

जापान की आर्थिक स्थिरता

जापान एक स्थिर और आर्थिक रूप से मजबूत देश माना जाता है। इसकी विनियमित वित्तीय प्रणाली, कम मुद्रास्फीति दर और तुलनात्मक रूप से कम सार्वजनिक ऋण इसे एक विश्वसनीय आर्थिक भागीदार बनाते हैं। इन विशेषताओं के कारण, निवेशक अमेरिकी डॉलर की अनिश्चितता से बचने के लिए येन को एक बेहतर विकल्प के रूप में देख रहे हैं।

राजनीतिक स्थिरता और निवेशकों का विश्वास

अमेरिका की राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए, कई निवेशक येन को अधिक स्थिर विकल्प मान रहे हैं। जापान की राजनीतिक प्रणाली तुलनात्मक रूप से स्थिर रही है, जो इसे एक सुरक्षित मुद्रा के रूप में स्थापित करने में मदद कर रही है।


अमेरिका की व्यापार नीति और डॉलर पर प्रभाव

अमेरिकी डॉलर से दूर जाने के एक अन्य प्रमुख कारण अमेरिका की व्यापार नीति भी है। रोश बताते हैं कि अमेरिका की व्यापार नीतियों, विशेष रूप से टैरिफ और संरक्षणवाद से जुड़ी नीतियों ने कई देशों को डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए प्रेरित किया है।

अमेरिका की इन नीतियों के चलते कई देश अपने व्यापारिक लेनदेन के लिए वैकल्पिक मुद्राओं का उपयोग करने लगे हैं, जिससे डी-डॉलराइजेशन की प्रक्रिया तेज हो रही है।


निष्कर्ष: क्या येन नई वैश्विक मुद्रा बनेगा?

डेविड रोश का आकलन वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तनों को दर्शाता है। अमेरिका अपने वैश्विक वर्चस्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है, और राजनीतिक अस्थिरता के कारण डॉलर में विश्वास धीरे-धीरे कम हो रहा है।

रूस और चीन द्वारा डी-डॉलराइजेशन अभियान और अमेरिका की व्यापार नीतियों के चलते जापानी येन एक सुरक्षित मुद्रा के रूप में उभर रहा है।

भविष्य में, यदि वैश्विक भूराजनीतिक तनाव और बढ़ता है, तो यह संभव है कि अधिक देश और निवेशक येन को अपनाने पर विचार करें। यह बदलाव अमेरिकी डॉलर के वैश्विक वर्चस्व को कमजोर कर सकता है और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में एक नए संतुलन को जन्म दे सकता है।

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