महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधान परिषद में बड़ा दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी मांगी थी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ फिर से गठबंधन करने की इच्छा जताई थी। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया और इसे राजनीतिक प्रोपेगेंडा करार दिया।

शिंदे का दावा: ठाकरे ने मांगी थी माफी

एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र विधान परिषद में कहा,
“एक अंदर की बात बताता हूं। उद्धव ठाकरे ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर कहा था – ‘कृपया मुझे माफ करें, हम फिर से आपके साथ हाथ मिलाना चाहते हैं।’ लेकिन मुंबई लौटने के बाद वह अपनी बात से मुकर गए।”

शिंदे ने शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता अनिल परब पर भी भाजपा नेताओं से गुप्त बातचीत करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “जब आपको (अनिल परब) नोटिस मिला था, तब आप भाजपा नेताओं से मिलने गए थे और राहत मिलने के बाद आपने पाला बदल लिया।”

शिंदे ने दावा किया कि ठाकरे गुप्त रूप से भाजपा से समझौता करना चाहते थे, लेकिन जब पार्टी पर दबाव बढ़ा, तो उन्होंने पीछे हटने का फैसला लिया।

उद्धव ठाकरे का पलटवार

उद्धव ठाकरे ने शिंदे के आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा,
“भविष्य पर ध्यान देने के बजाय कुछ लोग अतीत की राजनीति में उलझे हुए हैं। सवाल यह है कि सत्ता में आने के बाद इन्होंने महाराष्ट्र के लिए क्या किया?”

ठाकरे ने आरोप लगाया कि शिंदे सरकार की नीतियां महाराष्ट्र के विकास के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि शिंदे सरकार बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा से भटक गई है और भाजपा के साथ गठबंधन करके शिवसेना की मूल विचारधारा को कमजोर कर रही है।

शिवसेना (यूबीटी) बनाम भाजपा-शिवसेना (शिंदे गुट)

महाराष्ट्र में राजनीतिक तनाव और इसका असर

इस राजनीतिक उठापटक के बीच महाराष्ट्र में सियासी माहौल गर्म हो गया है। नागपुर हिंसा के मुद्दे पर भी राज्य में अलग-अलग राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं।

महाराष्ट्र की जनता इस पूरे घटनाक्रम को करीब से देख रही है। चुनावी वर्ष होने के कारण यह मुद्दा और भी बड़ा हो सकता है।

एकनाथ शिंदे के इस खुलासे ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। जहां भाजपा और शिंदे गुट उद्धव ठाकरे को घेरने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं ठाकरे इन आरोपों को झूठा बताते हुए भाजपा-शिंदे गठबंधन को चुनौती दे रहे हैं।

अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा कितना तूल पकड़ता है और क्या यह महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा बदल सकता है।

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