क्रिकेट, जिसे उपनिवेश काल के दौरान ‘सज्जनों का खेल’ कहा जाता था, ब्रिटिश शासन के दौरान एक अवकाश गतिविधि के रूप में शुरू किया गया था। प्रारंभ में, यह केवल मनोरंजन का साधन था, लेकिन समय के साथ यह भारत के लिए एक राष्ट्रीय जुनून बन गया। आज, हर दूसरा भारतीय क्रिकेट का दीवाना है और यह खेल भारत की खेल पहचान का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

क्रिकेट का भारत में आगमन
क्रिकेट पहली बार भारतीय भूमि पर वर्ष 1721 में ब्रिटिश नाविकों द्वारा खेला गया था। ब्रिटिश उपनिवेशवादी, जो अपनी मातृभूमि को याद करते थे, इस खेल को खेलते थे और धीरे-धीरे यह भारतीय धरती पर प्रसिद्ध होने लगा। इसके बाद, यह खेल भारतीय समुदायों में भी लोकप्रिय होने लगा।
भारत में पहला क्रिकेट क्लब
भारत में क्रिकेट को संगठित रूप से खेलने का श्रेय पारसी समुदाय को जाता है। अंग्रेजों के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों के कारण पारसी इस खेल से परिचित हुए और उन्होंने 1848 में ‘ओरिएंटल क्रिकेट क्लब’ की स्थापना की। पारसियों ने आगे चलकर लंदन में अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेकर अंग्रेजों को उनके ही खेल में चुनौती दी।
धीरे-धीरे, अन्य भारतीय समुदायों ने भी क्रिकेट में रुचि लेनी शुरू की और विभिन्न टीमों का गठन किया। वर्ष 1866 में हिंदू जिमखाना की स्थापना ने इस खेल को और अधिक संस्थागत रूप दिया। इसके बाद, मुस्लिम, सिख और अन्य समुदायों ने भी अपनी क्रिकेट टीमें बनाईं और आपसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगे।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की स्थापना
क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए, वर्ष 1920 के आसपास भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की स्थापना की गई। इसके बाद, वर्ष 1926 में भारत को इंपीरियल क्रिकेट काउंसिल (अब ICC) में स्वीकार किया गया। इस महत्वपूर्ण कदम के बाद, भारत ने पहली बार ‘रणजी ट्रॉफी’ में भाग लिया और क्रिकेट को राष्ट्रीय पहचान मिलने लगी।
भारत का पहला टेस्ट मैच
वर्ष 1932 में, सी. के. नायडू की कप्तानी में भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच लंदन के लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर खेला। यह मैच भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ और भारतीय क्रिकेट टीम को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में पहला कदम था।
भारतीय क्रिकेट का स्वर्णिम युग
स्वतंत्रता के बाद, क्रिकेट केवल अभिजात वर्ग का खेल नहीं रहा, बल्कि आम जनता के बीच भी बेहद लोकप्रिय हो गया। वर्ष 1950-60 के दशक में भारत ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहली जीत दर्ज की।
इसके बाद, भारतीय क्रिकेट में सुनील गावस्कर, कपिल देव और गुंडप्पा विश्वनाथ जैसे दिग्गज खिलाड़ियों का आगमन हुआ। भारत ने 1983 में कपिल देव की कप्तानी में वेस्टइंडीज को हराकर अपना पहला क्रिकेट विश्व कप जीता, जिसने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।
आधुनिक युग और भारतीय क्रिकेट की नई पहचान
क्रिकेट अब केवल एक खेल नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। सचिन तेंदुलकर, एम.एस. धोनी, विराट कोहली जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के आने से भारतीय क्रिकेट टीम ने वैश्विक स्तर पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली।
2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की शुरुआत हुई, जिसने क्रिकेट को और अधिक रोमांचक बना दिया। आईपीएल ने खेल के साथ मनोरंजन को जोड़ने का एक अनूठा तरीका पेश किया और इसे दुनिया भर में बेहद लोकप्रिय बना दिया।
निष्कर्ष
आज क्रिकेट भारत में सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक भावना बन चुका है। हर गली-मोहल्ले में कोई न कोई बच्चा क्रिकेट खेलते हुए भविष्य के महान खिलाड़ी बनने का सपना देखता है।
क्रिकेट, जो कभी ब्रिटिश उपनिवेशवादियों द्वारा भारत में लाया गया था, अब भारतीयों की आत्मा में बस चुका है और देश की खेल विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।